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-श्रीस्वस्थानी व्रत कथा अध्याय २३

श्रीस्वस्थानी व्रत कथा अध्याय २३

Hollywood Khabar February 18,2021 Comments

श्रीस्वस्थानी व्रत कथाको वाईसौं अध्यायमा कुमारजी आज्ञा गर्नुहुन्छ हे अगत्स्य मुनी ! त्यस्ता तरहले रहंदा रहंदा आठ दश वर्ष भयो र एक दिन शिवशर्मा ब्राम्हण आफू ह्रृष्ट-पुष्ट भएको देखी घर सम्झी अब यहां मॅं बसी के गरूं, घर जाउॅं भनी, विचार गरी शिवभट्ट ब्राम्हण र सती ब्राम्हणी छेउ गई भने - हे माता-पिता। तिमीहरूले कृपा गर्नाले कन्या पाएं, मं यहां बसेको धेरै दिन भयो, घरमा विचार गर्ने कोही छैनन्,आज्ञा दिए घर जांदो हुं। यति शिवशर्मा ब्राम्हणले भनेको सुनी शिवभट्ट ब्राम्हण के भन्छन् - बांकी प्रसंगको लागी पं. रामबाबु लुइटेलद्धारा प्रस्तुत स्वस्थानी व्रत कथाको अध्याय २३ सुनेर लाभ प्राप्त गरौं ।

श्रीस्वस्थानी व्रत कथा

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